
चाँदी की सौत
प्रिय सुनंदा पूरे एक साल बाद तुझे मेरा पत्र मिलेगा।मेरा पत्र न पाकर तूने मन ही मन अंदाजा लगाया होगा कि…
प्रिय सुनंदा पूरे एक साल बाद तुझे मेरा पत्र मिलेगा।मेरा पत्र न पाकर तूने मन ही मन अंदाजा लगाया होगा कि…
जब हमने याद किया तुमको तुमने भी याद किया होगा सिजदे को टेका जब माथा तुमने भी नमन किया होगा। जब चूमा तुमको ख्यालों में स…
आजकल औरतें लिख रही हैं कविताएं अपने अनकहे दर्द की व्यथाएं जिसे अकेली ही झेलती रहीं और होंठों ही होंठों में पीती रहीं। आ…
पात से बूंद सी आंखें झरती रही रात भर पानी बरसता रहा बिजली कड़कती रही रात-भर बीती बातों का समन्दर उमड़ता रहा रात भर मै…
"ओह वसुधा,क्या सारे दिन अम्मा से चिपकी रहती हो।कभी कोई काम मेरा भी कर दिया करो-"झल्ला उठे वर्द्धमान और उनके स…
एकाएक यूँ चले जाने और गायब हो जाने में बड़ा फर्क है। आदमी एकाएक उठकर चल देता है, थोड़ी चहलकदमी करता है,कुछ सोचता …
अखबार पलटते पढ़ते नजर 'दहेज की वेदी पर एक और बलि'शीर्षक पर अटक गई। यों तो प्रतिदिन समाचार पत्रों में …