पहेलियों में राम
पहेलियों में राम -बालकृति रचयिता -डा.देवेंद्र देव मिर्जापुरी " पहेलियों में राम"-शीर्षक चौंक…
पहेलियों में राम -बालकृति रचयिता -डा.देवेंद्र देव मिर्जापुरी " पहेलियों में राम"-शीर्षक चौंक…
पितरों का अपने अपने घर लौटना-खुशी और श्रद्धा का पर्व.पूर्णमासी से अमावस्या तक कुल सोलह दिन , घरों से उठती पकवानों…
तुम सावन के गीतों जैसे धीमी धीमी फुहारों जैसे भीगे भीगे मेरे मन में छा जाते हो तन में कैसे। तुम्हें छिपाकर सबसे …
मैं नहीं जानती वह कौन था।यह इत्तफाक ही था कि वह और मैं सिविल लाइन के चौराहे से पैदल साथ ही चल रहे थे। मुझे आगे मोड़ से …
प्रिय सुनंदा पूरे एक साल बाद तुझे मेरा पत्र मिलेगा।मेरा पत्र न पाकर तूने मन ही मन अंदाजा लगाया होगा कि…
जब हमने याद किया तुमको तुमने भी याद किया होगा सिजदे को टेका जब माथा तुमने भी नमन किया होगा। जब चूमा तुमको ख्यालों में स…
आजकल औरतें लिख रही हैं कविताएं अपने अनकहे दर्द की व्यथाएं जिसे अकेली ही झेलती रहीं और होंठों ही होंठों में पीती रहीं। आ…
पात से बूंद सी आंखें झरती रही रात भर पानी बरसता रहा बिजली कड़कती रही रात-भर बीती बातों का समन्दर उमड़ता रहा रात भर मै…
"ओह वसुधा,क्या सारे दिन अम्मा से चिपकी रहती हो।कभी कोई काम मेरा भी कर दिया करो-"झल्ला उठे वर्द्धमान और उनके स…
एकाएक यूँ चले जाने और गायब हो जाने में बड़ा फर्क है। आदमी एकाएक उठकर चल देता है, थोड़ी चहलकदमी करता है,कुछ सोचता …