
काव्य-सरिता
भोजपुरी कविताएं
१ चुरा ले गइल धान, पान, मुस्कान सून कइलस गाँव घर जवार कर देलस तार - तार रिसतन के हँ! बाजार। २ अभाव हमरा खातिर मान…
१ चुरा ले गइल धान, पान, मुस्कान सून कइलस गाँव घर जवार कर देलस तार - तार रिसतन के हँ! बाजार। २ अभाव हमरा खातिर मान…
कब तक तोड़ोगे स्त्री को जिससे टूटकर तुम पैदा हुए हो, झांक अपने अंदर आज तूम जिस अस्तित्व पर इतराते हो जिस पौरुष को दिखल…
सफ्हा -ए - हस्ती, इंसान की बस्ती वुजूद ना बचता, जो न होती मस्ती। मिरी सन - ए विलादत, अहम नहीं अहम की बात है, जिंदगी ह…