-->

नवीनतम

विवेक दीक्षित लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
विवेक दीक्षित लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बँटवारा

अक्तूबर 26, 2022
मेरे घर की चार दीवारें, बटवारे में बटी हुई हैं, पर छत की अब भी है कोशिश, चौबारे न बटने पाएं, छत से ही विद्रोह कर रहीं हैं ,कद से ऊंची दी...

सारा जग अपराधी

अप्रैल 19, 2022
  स्वर्ग में ताले लटक रहे हैं, सारा जग अपराधी है!   मानव भटक गया धरती पर, होड़ लगी है गिरने की । भौतिकता के पागलपन में, सुध न रही...

खुद्दारी नहीं जाती

जनवरी 10, 2022
  भले कोशिश करें पर वक़्त-ए-दुश्वारी नहीं जाती । हमारा जिस्म जाता है ये बीमारी नहीं जाती ।   तुम्हारे सदके हमने दिल हमारा रख दिया लेकिन...

घर में रहो

मई 13, 2021
  न चौबारे, न नुक्कड़, न सफ़र में रहो! वक़्त का तकाज़ा है ज़रा घर में रहो!                      हवा कातिल है परिंदो तुम्हें मालूम हो,      ...

अरुणिता के फ्लिपबुक संस्करण

सूचना :-

उत्कृष्ट और सार-गर्भित रचनायें नि:शुल्क प्रकाशनार्थ आमन्त्रित हैं | आप अपनी रचना हमें इस ईमेल पते editor.arunita@gmail.com पर भेज सकते हैं | सभी स्वीकृत रचनाओं को अगामी अंक में प्रकाशित किया जायेगा | दायीं और दिखायी दे रहे 'रचनाकार' स्तम्भ में अपने या किसी अन्य रचनाकार के नाम पर क्लिक करके आप अपनी अथवा अन्य रचनाकारों की सभी प्रकाशित रचनाएँ देख देख सकते हैं |

सर्वाधिक लोकप्रिय :