
डॉ० पल्लवी सिंह 'अनुमेहा'
ख्वाबों की पोटली
सुनो....... दिल ने कई बार चाहा तुमसे मिलने का मन भी बार-बार होता है बात करने का पर द…
सुनो....... दिल ने कई बार चाहा तुमसे मिलने का मन भी बार-बार होता है बात करने का पर द…
अनुराग तो कर लिया तुमने, अपने पूरे राग से, लेकिन क्या संभाल सके तुम, …
यह विश्वास का जो राग है न- वह समागम के लिए नहीं होता, नही होता है- प्रतिपल …