
जय कुमार
बरस जाओ हे मेघ
बरस जाओ हे मेघ; भिगा डालो जगत के वसन को, शीतल कर दो वसुधा के; दहकते तन-मन को | कहीं अनल क्षुब्धा का; कह…
बरस जाओ हे मेघ; भिगा डालो जगत के वसन को, शीतल कर दो वसुधा के; दहकते तन-मन को | कहीं अनल क्षुब्धा का; कह…
वर्तमान समय में देश की शिक्षा प्रणाली में व्यापक परिवर्तन होते दिख रहे हैं | सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि समूचे राष्…
दे दो रँग मुझे, बुन लूँ सपने रँग-बिरंगे सजा लूँ अपना जीवन , रँग लूँ अपनी दुनिया रँग डालूं अपना तन-मन …
खींच दी थी तुमने जो, कुछ आड़ी-तिरछी लकीरें मेरे मन के कोरे पन्नों पर । बन गए हैं उनसे कुछ, रुपहले चित्र । जि…