
डॉ० मधु आँधीवाल
स्वयं की तलाश
पंखुरी खिड़की में खड़ी थी । आज घनघोर बारिश हो रही थी । उसके साथ ही उसके मन में भी अंधेरी घटायें घिरी थी । सोच रही ऐसी…
पंखुरी खिड़की में खड़ी थी । आज घनघोर बारिश हो रही थी । उसके साथ ही उसके मन में भी अंधेरी घटायें घिरी थी । सोच रही ऐसी…
मीरा एकटक ठुमक ठुमक चलती नन्दिनी को निहार रही थी । उसे देखते देखते नन्दिनी की जगह रुचिका दिखाई देने लगी । उसकी प्राण से…
झमाझम बारिश हो रही थी । पूस के महीने की बारिश ठंड का कहर ढा देती है । मंजरी अकेली अपने कमरे के दरवाजे से इस नजारे को दे…