अशोक सिंह
जाने कैसी हवा चली

जाने कैसी हवा चली

जाने कैसी हवा चली , कैसी चली ये रीत रे। ना तो मनके तार खनकते , ना होठों पर गीत रे। भाग-दौड़ के इस जीवन में , हर …

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