ग़ज़लनामा
मुझे क्यूँ चाँद का धोका हुआ है अभी तू छत पे क्या आया हुआ है डुबो दो पाँव आकर झील में तुम कि पानी शाम से ठहरा हुआ है…
द्वारा -
अरुणिता
अप्रैल 14, 2025
ग़ज़लनामा
धूप को फूल खल रहे होंगे, खेत के पाँव जल रहे होंगे | जाति औ फ़िरके वाले सांचे में, आज बच्चे भी ढल रहे होंगे | हो रही कोठ…
द्वारा -
अरुणिता
जनवरी 05, 2025