
सीधी रीढ़
गहरी काली चाय में दूध और शक्कर मिलाते हुए वो आसमान की ओर देख रही थी। - मानस! सूरज ढलने और शाम गहराने के समय जो आसमान …
गहरी काली चाय में दूध और शक्कर मिलाते हुए वो आसमान की ओर देख रही थी। - मानस! सूरज ढलने और शाम गहराने के समय जो आसमान …
"अरे ओ कमाल! मुआं कहाँ मर गया।देखता भी नहीं कि मेरी पनडिब्बी की सारी कसैली खत्म हो गयी।"बड़बड़ाते हुए दरवाजे …
हम भ्रम में होते है ये संसार है जहाँ दो दिन की मोहलत मिलती है बस एक याद बने रहने की कोई फर्क नही पड़ता..कौन चला जाएगा क…
आंगन में प्रवेश करते ही मनोहर चिल्लाते हुए बोले-"अपने लाड़ले को समझाओ! नहीं तो एक दिन लेने के देने पड़ जाएंगे। हम …
फोन पर वार्तालाप करते दो प्रेमी युगल फलक को निहार रहे थे। प्रेमिका- "देखो ! आज चाँद कितना खूबसूरत लग रहा है। म…
चुल्हे की धधकती आग पर तप रही बरतन में जैसे ही बंशीधर ने चबेने डाले,पास ही बरामदे की सीढ़ी से लगी दीवार पर टिककर बैठा …
रजनी का जीवन हमेशा उतरन पर ही टिका रहा..बचपन से लेकर अब वि वाह जैसी बात भी ...किसी की छाड़न ही उसका भाग्य बन…