गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'

कविता की परिभाषा

संस्कृत के आचार्यों ने काव्य के जो लक्षण बताए हैं, वे कविता के लक्षण नहीं हैं। बहुत से साहित्यकार इन्हें कविता के लक्षण…

प्रयाण गीत

(तूणक छ्न्द में) कामना करो कि नव्यता सदा बनी रहे। देश में विनीत सभ्यता सदा बनी रहे।। सादगी समेत भव्यता सदा बनी रहे। स्व…

किस कारण साजन छाँह न की

(दुर्मिल सवैया में समस्या पूर्ति) स्थिति ==== पति साथ गई नव दृश्य दिखा, सखि चौंक पड़ी पर आह न की। दुविधा वश भूल गई पत…

प्राण का चमत्कारी काव्य

अनुलोम-विलोम काव्य की एक कठिन विधा है। इस विधा का अवतरण होते समय मानसिक श्रम भी अधिक लगता है। नीचे लिखी पहली व दूसरी पं…

रौद्र नाद

हे पाखण्ड-खण्डिनी कविते! तापिक राग जगा दे तू। सारा कलुष सोख ले सूरज, ऐसी आग लगा दे तू।। कविता सुनने आने वाले, हर श्रोता…

समझो द्वार पर है बसन्त

" गुन ना हिरानो गुन गाहक हिरानो है। इस भावना के साथ मित्रो!   मेरी इस रचना के तुकान्त न देखते हुए इसके …

रौद्र नाद

हे पाखण्ड खण्डिनी कविते ! तापिक राग जगा दे तू। सारा कलुष सोख ले सूरज, ऐसी आग लगा दे तू।। कविता सुनने आने वाले, हर…

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