कथा-सिन्धु

श्याम बेनेगल

यथार्थवादी सिनेमा के वास्तुकार श्याम बेनेगल (1934-2024) हिन्दी सिनेमा में यथार्थवादी दृष्टिकोण से परिपूर्ण फ़िल्मों क…

होशियार सिंह की होशियारी

होशियार सिंह अपनी होशियारी पर बहुत इतरा रहा था। ऐसा भी होता है जब आदमी के पास पैसा हो जाता है तब वह होशियार भी ह…

सिम्मी मौसी

गांव के हृदय स्थल में एक वैष्णव परिवार रहता है ।उनके घर में दो मेहमान रहते हैं ।  एक सिम्मी  मौसी और दूसरा तोता मीतू ,द…

मेरे साथ तुम हो

’’ बहुत अच्छा व बड़ा परिवार है। एक देवर, दो ननदें , साथ ही सास-ससुर हैं। ’’ मम्मी बुआ को बता रही थीं।    अवसर मेरा व…

माँ का प्रतिरूप

मीरा एकटक ठुमक ठुमक चलती नन्दिनी को निहार रही थी । उसे देखते देखते नन्दिनी की जगह रुचिका दिखाई देने लगी । उसकी प्राण से…

बड़ी बी

"अरे ओ कमाल! मुआं कहाँ मर गया।देखता भी नहीं कि मेरी पनडिब्बी की सारी कसैली खत्म हो गयी।"बड़बड़ाते हुए दरवाजे …

चाँदी की सौत

प्रिय सुनंदा                 पूरे एक साल बाद तुझे मेरा पत्र मिलेगा।मेरा पत्र न पाकर तूने मन ही मन अंदाजा लगाया होगा कि…

गुस्ताखी मेरी

नंदिनी और राज अरेंज मैरिज को  आपसी प्यार और अंडरस्टैंडिंग से बाखूबी निभा रहे हैं । नंदिनी  ब्रेकफास्ट के बाद जल्दी-जल्द…

कफन

पिछले दो दिन से पत्नी की तबीयत ठीक नहीं थी। घर में खाने के लाले पड़े थे। ऐसी मुफलिसी में दवा-दारू कैसे करे ? परंतु पत्नी…

संस्कृति की समझ

मां मां क्या हमारे पूर्वज बहुत बड़े ज्योतिषी थे? सड़क बुहारने वाली लक्ष्मी की चार साल की बिटिया ने लक्ष्मी से पूछा। क्य…

चलो चलें गाँव की ओर

जनवरी के महीने में कड़ाके कि ठंढ़ पड़ रही थी | लोग अपने घरों में पहने ओढ़े दुबके हुए थे | घर से बाहर निकलने की हिम्मत कम…

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