श्यामल बिहारी महतो
संस्कारी पुड़िया
शाम होते होते सगरो गाँव में ढिंढोरा सा पिट गया- " गोपला ने गणेशवा की बहू को ले भागा...! "…
शाम होते होते सगरो गाँव में ढिंढोरा सा पिट गया- " गोपला ने गणेशवा की बहू को ले भागा...! "…
आज राधा जी के चेहरे पर बरसों बाद रौनक थी। सुबह से ही घर में उनकी व्यस्तता गूँज रही थी — कहीं फूल सजा रही थीं , कहीं र…
मन में दुःख , वेदना , पीड़ा व अनगिनत आशंकाओं के साथ आज मैथिली पूरे तीन दिनों के पश्चात अपने घर आई थी. घर के भीतर…
तब परिवार दो या एक बच्चों तक सीमित नही होते थे। बड़े होते थे। अधिकांशतः संयुक्त परिवार होते थे। जिनमें कम से कम…