श्यामल बिहारी महतो
 संस्कारी पुड़िया

संस्कारी पुड़िया

शाम होते होते सगरो गाँव में ढिंढोरा सा पिट गया- " गोपला ने गणेशवा की बहू को ले भागा...! "…

 जीवन एक कसौटी

जीवन एक कसौटी

बाजार में खरीदारी कर, रोड किनारे हाथ में हेलमेट पकड़े बाइक के सामने अभी खड़ा ही हुआ था कि पचास पचपन का एक अधेड…

गाँधी धुन

गाँधी धुन

कामता बाबू को लोग दफ़्तर में गाँधी जी कहा करते थे । कंपनी काम के प्रति पूर्ण समर्पित ! यह समर्पण की भावना उनके रिटायरम…

बहते लोर

बहते लोर

खैरी गैया की आँख से बहते आँसू देख अचानक से बासु चौंक उठा था । तत्काल उसे समझ में नहीं आया कि वो उसको देख रोने लगी है या…

भूलते रिश्तों की चीख

भूलते रिश्तों की चीख

घर में शादी का माहौल था । आंगन में लगन बंधाने की रश्म की तैयारी चल रही थी । तीन दिन बाद सरला की शादी थी । लड़का-सी आर प…

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