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प्रेम ही राह दिखाए

अप्रैल 11, 2024
सिसक रही मानवता देखो अँसुवन धार बहाए माँग रही दो बूँद नेह की आँचल को फैलाए पथ भूले पथराए जग को प्रेम ही राह दिखाए सहज हुईं मुश्किल राह...

अमर हमारी प्रीत

अक्तूबर 26, 2022
  बोले ब्रह्म गुरु इक दिन, बस आज चुनो तुम प्रिय अपना, हो स्वतंत्र है आज्ञा तुमको, बुन लो जीवन का हर सपना। सूरज ने धूप समेटी तो, चंदा त...

छू हृदय के तार

जुलाई 10, 2022
  छेड़ दी कैसी यह तुमने, है मधुर झंकार, छू हृदय के तार प्रियवर, छू हृदय के तार।   मेरी जीवन वीणा पर, मधु राग को झंकृत किया, बज...

बेटी

अप्रैल 19, 2022
  बेटी होती एक गुड़िया सी, सब पर प्यार लुटाती है, सारी दुनिया के गुलशन को, बेटी ही महकाती है ।   परियों सी होती है बेटी, मुस्कात...

अरुणिता के फ्लिपबुक संस्करण

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