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बेटी थी मैं माँ!

अप्रैल 09, 2024
  बेटी भी तुम्हारा अंश है , माँ! तुम तो समझो , तुम भी कभी किसी की बेटी थी। पिता तो अपने पुरुषार्थ से मजबूर है , पुरुष है वह तो , म...

तुम्हारे सपने

जनवरी 10, 2024
  तुम्हारे सपने... , मेरे तकीय की बगल में , रातभर खेलते रहते हैं। मैं बार-बार , उन्हें सुलाता हूँ ; वे भागते हैं , और मुझे भी सोने नही...

शब्द बोलते है

अक्तूबर 05, 2023
  शब्द बोलते है हर कहानी , हर किस्से को। बातों में लिपटी बातें , हर तज़ुर्बे को कहती है। आदमी... यों ही सलाहकार नहीं , उसने अनुभव लिये है ; ...

मुख़्तसर ज़िन्दगी

जुलाई 01, 2023
  विराम लगा दो ; ज़िन्दगी   की बेतहाशा दौड़ती रफ़्तार पर , कि जमानेभर से राहत नहीं है , इस मुख़्तसर ज़िन्दगी   को। राहत के पल ढूँढ़ती ज़...

जीवन एक खिलौना है

जनवरी 09, 2023
  जीवन एक खिलौना है, सुख-दुःख का सारा रोना है। तू किस फिक्र में बैठा? होगा, जो जीवन में होना है।   कल जीवन के बाग़ों में सावन आयेग...

अरुणिता के फ्लिपबुक संस्करण

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