ऋषि रंजन
निर्मोही सजनी

निर्मोही सजनी

निर्मोही सजनी तू ना समझी मेरे मन के पीड़ को फैसले फासले के थे तुम्हारे कैसे दोष दूँ तकदीर को । यूँ तेरा इश्क में छलना…

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Out
Ok, Go it!