यशवंत चौहान

पितृ दिवस पर

बहुत कुछ पढ़ा, अखबारों में ,  सोशल मीडिया पर और समाचारों में । कविता, गीत, ग़ज़ल और लघुकथा सब में पिता के प्रेम की कहानी थ…

आज को हम क्यों कल पर छोड़े

जीवन का हर पल अमूल्य है । जीवन रस अमृत तुल्य है ।। बहुत देर तक तुम मत सोना । जीवन मूल्य कभी न खोना ।। आलस्य की कारा अब …

हिन्दी मेरी भाषा

निज भाषा अपनाओ मातृभूमि गीत गाओ । हिन्दी के विकास के प्रयास का आव्हान है ।। यशगान करो भारत माता के वैभव का । हि…

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