नवीन माथुर पंचोली
ग़ज़ल

ग़ज़ल

1 ख़ुद को   जब ऊँचाई देगा। तब ही   वो दिखलाई देगा।   फिर मिल जाएगा चुप को घर , जब   दिल को तन्हाई देगा।   …

ग़ज़ल

ग़ज़ल

1. यूँ सलीक़ा लिए पैगाम दिया जाता है। नाम जो रोज़ सुबह शाम लिया जाता है। काम वह क़ाबिले तारीफ़ हुआ करता है, जो सही वक़…

ग़ज़लें

ग़ज़लें

1 दोस्ती का सिलसिला। वास्तों से जा मिला। बेवज़ह रखना पड़ा, आपसे शिकवा -गिला । रास्ता ठहरा रहा ,…

ग़ज़ल

ग़ज़ल

ख़ुशी को आज़माना आ गया है। हमें हँसना -रुलाना आ गया है। क़िताबों में पढ़ा है या सुना है, सलीका वो निभाना आ …

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