नवीन माथुर पंचोली
ग़ज़ल

ग़ज़ल

1. यूँ सलीक़ा लिए पैगाम दिया जाता है। नाम जो रोज़ सुबह शाम लिया जाता है। काम वह क़ाबिले तारीफ़ हुआ करता है, जो सही वक़…

ग़ज़लें

ग़ज़लें

1 दोस्ती का सिलसिला। वास्तों से जा मिला। बेवज़ह रखना पड़ा, आपसे शिकवा -गिला । रास्ता ठहरा रहा ,…

ग़ज़ल

ग़ज़ल

ख़ुशी को आज़माना आ गया है। हमें हँसना -रुलाना आ गया है। क़िताबों में पढ़ा है या सुना है, सलीका वो निभाना आ …

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Out
Ok, Go it!