संस्मरण
वो बत्तीस अंक
बात उन दिनों की है जब मैं कक्षा ग्यारहवीं में पढ़ती थी। हमारी छमाही परीक्षा हो चुकी थी ।कक्षा में सभी विषयों के पेपर जा…
बात उन दिनों की है जब मैं कक्षा ग्यारहवीं में पढ़ती थी। हमारी छमाही परीक्षा हो चुकी थी ।कक्षा में सभी विषयों के पेपर जा…
कुछ दिन पहले मैं टैक्सी के द्वारा दिल्ली से बाहर जा रही थी। मैंने आने-जाने की टैक्सी की थी। टैक्सी में ड्राइवर ने राधा …
ख़ाली हाथ नहीं हूँ फिर भी ना जाने क्यूँ …..! कुछ ढूँढती रहती हूँ अपने हाथों की लकीरों में जो चाहा ,बढ़ कर पाया । फिर भी…
वो शाम कुछ अजीब थी ……! रात के क़रीब थी । रात गहरा रही थी शायद कुछ बता रही थी । इस ढलती रात में समेट रही थी कुछ ख़्वा…
जो मिल गई, वो मोहब्बत कैसी । जिसे पा लिया, वो महबूब कैसा । मोहब्बत में ना हो कसक ना हो दर्द ,ना हो जुदाई । वो मोहब्…