कुमार पवन कुमार ‘पवन’
पानी

पानी

पानी किसी की नहीं सुनता वह किसी की व्यथा नहीं देखता वह सिर्फ बहता है बहते-बहते चला जाता है वहाँ तक जहाँ ह…

गलियाँ

गलियाँ

बीते हुए बचपन की गवाह हैं, मेरी गलियाँ अब भी लिखती हैं, वह मेरी सलामती की चिट्ठी देर रात बैठकर जब सो जाता…

 किताबें

किताबें

किताबों के साथ-साथ पढ़ता हूँ , मैं वो तमाम चेहरे जो भीड़ में इस तरह खो गये जैसे खनकते हुए सिक्के!   कुमार…

औरतें

औरतें

रो देती हैं जब औरतें पिघलकर बह जाता है सारा दुःख लावा की तरह धरती की गोद में बिलख पड़ता है बारिश के रूप मे…

अकेला

अकेला

कभी -कभी मैं बिल्कुल अकेला हो जाता हूँ पेड़ की उस डाल की तरह जिसके पत्ते अभी-अभी गुजर गये बिना किसी शोरगुल…

बारिश

बारिश

अब मैं इस बारिश को अच्छा कहूँ या बुरा ? कल रात इसने मिट्टी के कुछ खिलौनों को फिर मिट्टी में मिला दिया और …

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Out
Ok, Go it!