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पानी

सितंबर 22, 2021
पानी किसी की नहीं सुनता वह किसी की व्यथा नहीं देखता वह सिर्फ बहता है बहते-बहते चला जाता है वहाँ तक जहाँ हम सोच नहीं सकते हैं...

गलियाँ

सितंबर 22, 2021
  बीते हुए बचपन की गवाह हैं, मेरी गलियाँ अब भी लिखती हैं, वह मेरी सलामती की चिट्ठी देर रात बैठकर जब सो जाता है पूरा शहर खामो...

किताबें

सितंबर 22, 2021
किताबों के साथ-साथ पढ़ता हूँ , मैं वो तमाम चेहरे जो भीड़ में इस तरह खो गये जैसे खनकते हुए सिक्के!   कुमार पवन कुमार ‘पवन’ अस...

औरतें

सितंबर 22, 2021
रो देती हैं जब औरतें पिघलकर बह जाता है सारा दुःख लावा की तरह धरती की गोद में बिलख पड़ता है बारिश के रूप में बादल एक पिता की त...

अकेला

सितंबर 22, 2021
कभी -कभी मैं बिल्कुल अकेला हो जाता हूँ पेड़ की उस डाल की तरह जिसके पत्ते अभी-अभी गुजर गये बिना किसी शोरगुल के और अपने पीछे ...

बारिश

सितंबर 21, 2021
अब मैं इस बारिश को अच्छा कहूँ या बुरा ? कल रात इसने मिट्टी के कुछ खिलौनों को फिर मिट्टी में मिला दिया और मेरे सामने छोड़ दिया...

अरुणिता के फ्लिपबुक संस्करण

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