देवेन्द्र पाल सिह
यात्रा

यात्रा

उम्र के आँखिरी पड़ाव में चीटियों के पँख लग गये वे बिलों से बाहर निकल गई उड़ने लगी एकाकी ही भरने लगी असीमित उड़ा…

 यात्रा

यात्रा

रक्त की उष्णता पाकर गर्मी में निकल आये कुछ भेक भेकी सफेद धागों में काले मोती पिरोकर सोचा था भर देंगे पृथ्वी को अपने नन्…

इस सावन में

इस सावन में

कुछ पाने से पहले तपना जरूरी है तपी धरती थी गर्मी में उमड़ आये घने बादल जैसे उतर आये हों जमीं पर सुखद प्रेम का आलिंगन …

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