वर्षा वार्ष्णेय
परिष्कृत प्रेम
परिष्कृत प्रेम का रूप तुममें ही नजर आया था ये भूल थी मेरी या पूर्वजन्म का प्रेम निभाया था देखकर यकायक तुमको य…
परिष्कृत प्रेम का रूप तुममें ही नजर आया था ये भूल थी मेरी या पूर्वजन्म का प्रेम निभाया था देखकर यकायक तुमको य…
बेहतरीन की तलाश में अक्सर बेहतर को छोड़ देते हैं लोग आँख खुलती है जब तक बहुत देर हो चुकी होती है फसाना ब…
तुम आज भी लड़ रहे हो औरंगजेब के इतिहास पर तुम आज भी लड़ रहे हो जात पांत के भेदभाव पर कहाँ खोये हो तुम आज भी क्यों अन…
प्रेम के बिना सब कुछ व्यर्थ ही तो है , फिर प्रेम के नाम पर इतनी नफ़रत क्यों प्रेम ही जीवन है प्रेम ही संसार है फ…