
एक पेड़ माँ के नाम
एक छवि- सी उभरती है... न जाने क्यों मेरे व्याकुल मन में! क्षत-विक्षत है जिसका अंग-प्रत्यंग , नयनों से बहते रक्त क…
एक छवि- सी उभरती है... न जाने क्यों मेरे व्याकुल मन में! क्षत-विक्षत है जिसका अंग-प्रत्यंग , नयनों से बहते रक्त क…
वृक्षों पर हरियाली थी शाखाएं ज्यूं हरे-भरे सुकुमार आनंद विभोर हो झूमे पत्ता-पत्ता शीतल मंद जो बहे बयार। देख निज रुप मन…
शहरीकरण की दौड़ में, बहुत आगे निकल गए हम... पीछे छूट गए हैं, अब तो सारे गाँव हमारे! नित नए अविष्कार पर... जश्न मना रहे …
हारकर न हो तू कभी उदास, कर पुनः अथक प्रयास! ये जंग आख़िरी जंग नहीं, जीवन के हर मोड़ पर... आते नित नए जंग है! रख हौसला, मत…
सत्य का तेज है सूर्य समान , इसकी तपिश के आगे... झूठ का बादल कहाँ टिक पाता है? करे लाख कोशिश अपने बचाव में…
मन मेरा बावला है सखी! माने ना, इत- उत उड़ जाए... मैं भागूँ पीछे- पीछे इसके, हाथ मेरे ये कभी ना आए...! कब भ…
जाड़े का मौसम यानि कि रजाई में दुबककर देर तक सोना, गरमागरम चाय की प्याली, धूप की गुनगुनाहट, गर्म पानी से नहान…
ये जीवन पुष्पित सेज नहीं, पथ में बिखरे विघ्नों के शूल हजार! लक्ष्य उसे ही मिलता है जो हर चुनौती को करे हँसकर स्वीकार!…