विश्वविद्यालय परिसर के दिन
कितने खूबसूरत हैं विश्वविद्यालय परिसर के दिन , हर सुबह परिसर में जाने का उत्साह कभी न होता कम , रोज सुबह सबसे मिलना न…
कितने खूबसूरत हैं विश्वविद्यालय परिसर के दिन , हर सुबह परिसर में जाने का उत्साह कभी न होता कम , रोज सुबह सबसे मिलना न…
तुम सावन के गीतों जैसे धीमी धीमी फुहारों जैसे भीगे भीगे मेरे मन में छा जाते हो तन में कैसे। तुम्हें छिपाकर सबसे …
सुनो! स्वयं के विश्वासों पर , ही जगती में टिक पाओगे। गांँठ बाँध लो मूल मन्त्र है , यही अन्यथा मिट जाओगे।। साह…
कैसी मुश्किल घड़ी आन पड़ी है ! संकट में उसकी जान पड़ी है । इक माँ है जो सरहद पर बुला रही हैं । इक माँ है जो अस्पता…
वर्ण समेटे ख़ुद में वावन , जन-मन का उद्गार है हिंदी। कहलाती संस्कृत की दुहिता , शब्दों का भंडार है हिंदी। …
एक लंबा सा बांस अपनी ऊंचाई से डेढ़ गुना हाथ में पकड़े रोज गुजरता है घर के सामने से नहीं जानता कौन है वह …
चिड़ियों के कलरव से पहले , नयन सदा खुल जाते थे। भोर सूर्य के दर्शन पा कर , तन मन शक्ति जगाते थे।। पुष्पों क…