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प्रेम ही राह दिखाए

अप्रैल 11, 2024
सिसक रही मानवता देखो अँसुवन धार बहाए माँग रही दो बूँद नेह की आँचल को फैलाए पथ भूले पथराए जग को प्रेम ही राह दिखाए सहज हुईं मुश्किल राह...

शिक्षा का मंदिर

अप्रैल 11, 2024
अपने कर्तव्य के प्रति समर्पण से, महकता है शिक्षा का मंदिर। अपने कार्य और जिम्मेदारी का बोध, हो मन के अंदर। आत्म संतुष्टि ही है, सबसे बड़...

नहीं वह सम्मुख

अप्रैल 11, 2024
नहीं वह सम्मुख अचरज की न बात मेरी व्यथा से है विमुख मन पर कुठाराघात| मेरी व्यथा का रहा न भान भूल गए मेरा त्याग बलिदान सारी कामनाएं अधोगति...

जिंदगी कहाँ गई

अप्रैल 11, 2024
जिंदगी वही की वही रह गई जहा से शुरु वही ख़तम हो गई सुबह से अब धीरे धीरे शाम हो गई रात बीती और अब सुबह हो गई ।। जिन्दगी आज अब औ कल हो गई ...

रोक लो

अप्रैल 11, 2024
तुम्हारा जाना यूं हुआ कि आंखों के आंसू तुम्हें विदाई देने को पलकों में ही ठिठक गए और आंखें पीतीं रहीं वेदना मगर जब तुम ओझल हुए मन लगा पूछने ...

छाया मत छूना

अप्रैल 11, 2024
सुनो पथिक उजले भ्रम की तुम छाया मत छूना। इस छाया में गहन अँधेरा बैठ जुगाली करता है पनघट-पनघट प्यासा सागर सिर्फ़ दलाली करता है सुनो पथिक...

प्यारी गौरैया

अप्रैल 11, 2024
  आ खिड़की पर बैठ भी जा छोटी प्यारी गौरैया झूम झूम आंगन में नाचो मेरी प्यारी गौरैया। तेरी चूं-चूं तेरी चीं-चीं मन को प्रतिपल हर्षाती है ...

गौरैया

अप्रैल 11, 2024
मेरे घर की मुँडेर पर, भोर एक गौरैया आती। प्याले में रक्खे दानों को, चूँ-चूँ करती खाती जाती॥ उड़ जाती वो बिना बताये, अंबर में जा कर छुप जात...

बहती है पुरवाई

अप्रैल 09, 2024
माह फरवरी आतुर है मन, धरा प्रेम बरसाई, सुरभित गुलाब की पंखुड़ियाँ, शूल मध्य इठलाती। देख दृश्य पुलकित है कण-कण, कोयल गीत सुनाती।। पात–पात तरु...

रात भर

अप्रैल 09, 2024
पात से बूंद सी आंखें झरती रही रात भर पानी बरसता रहा बिजली कड़कती रही रात-भर बीती बातों का समन्दर उमड़ता रहा रात भर मैं एकाकी स्वंय से लड़त...

बेटी थी मैं माँ!

अप्रैल 09, 2024
  बेटी भी तुम्हारा अंश है , माँ! तुम तो समझो , तुम भी कभी किसी की बेटी थी। पिता तो अपने पुरुषार्थ से मजबूर है , पुरुष है वह तो , म...

उसकी चिट्ठी

जनवरी 10, 2024
  नींद नहीं है इन रातों में, करती छुपम–छुपाई है। चाँद रोशनी की मिली झलक , है खिड़की पर दुबके से, टिम–टिम करते इ...

है समंदर लबालब

जनवरी 10, 2024
  उसको अपनी कहानी बता न सका उस पे हक भी अपना जता न सका जब उसने बताया मुझे कुछ जरा मैं उसके कहे को पचा न सका बूंद ऐसी गिरी लचीली शाख से...

समय के फेर

जनवरी 10, 2024
  करू–करू लोगन के बोली, मोला अब्बड़ रोवाथे। कच्चा लकड़ी कस गुँगवावत, अंतस के पीरा सहिथँँव, बैरी होगे ये दुनिया ह...

वो शाम कुछ अजीब थी

जनवरी 10, 2024
वो शाम कुछ अजीब थी ……! रात के क़रीब थी । रात गहरा रही थी शायद कुछ बता रही थी । इस ढलती रात में समेट रही थी कुछ ख़्वाब । ढूँढ रही थी मैं ...

अरुणिता के फ्लिपबुक संस्करण

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