प्रेम ही राह दिखाए

अरुणिता
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सिसक रही मानवता देखो अँसुवन धार बहाए

माँग रही दो बूँद नेह की आँचल को फैलाए



पथ भूले पथराए जग को प्रेम ही राह दिखाए

सहज हुईं मुश्किल राहें जब प्रेम ने पुष्प बिछाए



जीवन की नैया जब-जब भी मझधारों में आए

सदा प्रेम पतवार भँवर से कश्ती पार लगाए



प्रेम के आगे बड़ी-बड़ी तलवारों का दम जाए

प्रेम हृदय के घाव भरे सुख शांति अमन फैलाए



उलझे रिश्तों के धागों को सदा प्रेम सुलझाए

प्रेम के आगे सारी दुनिया अपना शीश झुकाए



त्याग घृणा नफ़रत सहकर भी सबका दर्द बंँटाए

धन्य वो मानव जीवन है जो प्रेम पुष्प बरसाए





डॉ0 मीनाक्षी गंगवार

प्रधानाचार्या, राजकीय बालिका हाईस्कूल

सोहरामऊ उन्नाव

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