यादें

अरुणिता
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जड़ में चेतन के भाव जगे 

यादों के पावन आँगन में 

अहसास अभी भी होता है

जब आते हो मेरे मन में ।।

 

आवाज लगाए बिन मुझको 

इंगित से जब ले जाते थे 

कुछ मृदुल पलों की बेला में

नव जीवन-सा दे जाते थे 

आभूषण बन जाते चुम्बन 

स्मृतियों के जो प्यारे तन में 

अहसास अभी भी होता है

जब आते हो मेरे मन में ।।

 

था कौन भला मेरे जैसा 

जब तुम्हें निहारा करता था 

भोली भाली सी सूरत पर

मैं खुद को वारा करती था 

तड़पाती है वह छुवन तेरी 

सूनी यादों के उपवन में 

अहसास अभी भी होता है

जब आते हो मेरे मन में ।।

 

वे दिन भी भूल नहीं पाऊं

चंचल थे जो अठखेली के 

मादक  थे  रंग  भरे  जैसे 

ऋतु प्यारी नयी नवेली के 

जो बीत गये लौटेंगे कब 

भावुक मन दीवानेपन में 

अहसास अभी भी होता है

जब आते हो मेरे मन में ।।

          

देवेन्द्र देव मिर्जापुरी

         1376/19, शास्त्री नगर 

         गली -2, बाई पास रोड़,

        बुलंदशहर- 203001(उ. प्र.)

      

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