विश्वविद्यालय परिसर के दिन

अरुणिता
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कितने खूबसूरत हैं विश्वविद्यालय परिसर के दिन,

हर सुबह परिसर में जाने का उत्साह कभी न होता कम,
रोज सुबह सबसे मिलना
नमस्ते, नमस्कार और शुभ प्रभात बोलना,
ऐसी शुरुवात होती है हर दिन,
दिनभर खाली समय का इंतजार करना,
मौका मिलते ही हँसी मजाक, मस्ती करना,
कक्षा में पढ़ते समय चुपके से भोजन करना,
कितने हसीन पल होते हैं
विश्वविद्यालय परिसर के हर दिन,
हर रोज विश्वविद्यालय परिसर के उपवन में घूमना, बैठना
खूबसूरत पलों का एहसास लेना
ऐसे हैं विश्वविद्यालय परिसर के दिन,
छुट्टी होती ही चाय की दुकान पर जाना,
दिनभर की हुई गतिविधियों की चर्चा करना,
आगे की रणनीतियां बनाना,
कल कौन आयेगा, क्या करेंगे, क्या नया कार्यक्रम होगा,

ऐसे पलों से बीतता है विश्वविद्यालय परिसर के हर दिन।


 देश दीपक

हरदोई, उत्तर प्रदेश

 

काव्य-सरिता

 

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