मन है तो सपना है,
मन है तो जग अपना है।
यह हँस दे तो फूल खिले,
रो दे तो सब सूना है।
मन ही मंदिर, मन ही माला,
मन ही करता पूजा है।
मन ही बैर बनाए जग में,
मन ही प्रेम का दूजा है।
कभी समंदर-सा गहरा,
कभी गगन-सा ऊँचा है।
कभी तितली बन उड़ जाता,
कभी चुपचाप रूठा है।
मन के वश में संसार सारा,
मन ही बंधन, मन ही डोरी।
मन ही लिखता सुख-दुख सारे,
मन ही जीवन की है कहानी।
डॉ० रानी गुप्ता
सूरत, गुजरात