मन की गहराइयों में उमड़ता है एक भाव,
प्रेम और समर्पण का
निरंतर प्रवाह।
श्रद्धा की गंगा जब हृदय से निकलती
है,
तो हर धड़कन प्रभु चरणों में ढलती
है।
आरती की लौ में झिलमिलता उजियारा,
भक्ति का संगीत
करता मन को प्यारा।
मंत्रों की गूंज में मिलती शांति
अपार,
हर कण में बसता है ईश्वर का सत्कार।
आँखों से बहते अश्रु बनते गंगाजल,
जिससे धुल जाते पाप और विषम दलदल ।
भक्ति के इस सागर में डूबे जो जन,
पाते हैं मोक्ष और सुख का अमृत धन।
भक्त-प्रेम जब बहता अविरल धारा सा,
तो जीवन हो जाता प्रभु का सहारा सा।
न कोई दुख,
न
कोई क्लेश का आभास,
केवल ईश्वर में मिलता सुख और विश्वास
।
डॉ० धर्मेन्द्र कुमार सिंह
41D लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी
फगवाड़ा पंजाब
