भारत की अर्थव्यवस्था आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहाँ वह न केवल विकास की गति पकड़ चुकी है, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति को निर्णायक रूप से दर्ज कर रही है। बीते वर्षों में भारत ने जिस प्रकार से आर्थिक सुधारों, तकनीकी नवाचारों और सामाजिक योजनाओं को समन्वित रूप से आगे बढ़ाया है, वह उसे एक उभरती हुई महाशक्ति के रूप में स्थापित करता है। वर्ष 2025 में भारत की GDP वृद्धि दर 7% से अधिक रही है, जो न केवल एशिया बल्कि विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ है। यह वृद्धि केवल आंकड़ों की बाज़ीगरी नहीं, बल्कि एक गहरी संरचनात्मक परिवर्तन की कहानी है — जिसमें डिजिटल क्रांति, बुनियादी ढांचे का विस्तार, स्टार्टअप संस्कृति और वैश्विक निवेश की भूमिका प्रमुख रही है।
भारत की आर्थिक यात्रा अब केवल महानगरों तक सीमित नहीं रही। छोटे शहरों, कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी विकास की लहर पहुँच रही
है। डिजिटल इंडिया अभियान ने जिस प्रकार से मोबाइल, इंटरनेट और आधार को एकीकृत कर वित्तीय समावेशन को संभव
बनाया है, वह अभूतपूर्व है।
आज करोड़ों लोग UPI के माध्यम से लेन-देन कर रहे हैं, सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे उनके खातों में पहुँच रहा है, और छोटे व्यापारी भी डिजिटल भुगतान को अपनाकर मुख्यधारा में
शामिल हो रहे हैं। यह परिवर्तन केवल तकनीकी नहीं, सामाजिक भी है — जहाँ एक चायवाला भी QR कोड से भुगतान स्वीकार करता है और एक किसान अपने स्मार्टफोन
से मंडी भाव देख सकता है।
स्टार्टअप संस्कृति ने भारत की अर्थव्यवस्था को नवाचार और युवा ऊर्जा से भर
दिया है। आज भारत में 100 से अधिक यूनिकॉर्न स्टार्टअप हैं, जो स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्त, कृषि और तकनीक के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे
हैं। ये स्टार्टअप न केवल रोजगार सृजन कर रहे हैं, बल्कि भारत को वैश्विक नवाचार मानचित्र पर भी स्थापित कर
रहे हैं। सरकार की PLI योजनाएँ, टैक्स सुधार और
निवेश अनुकूल नीतियाँ विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित कर रही
हैं। भारत अब केवल एक बाज़ार नहीं, एक निर्माण केंद्र बनता जा रहा है।
जय
कुमार
प्रधान-सम्पादक
चतुर्दशी, शुक्लपक्ष, आश्विन,
विक्रम सम्वत् २०८2