मन में खड़े सवाल बढ़ाता चला गया।
जीवन लगे बवाल सिखाता चला गया।।
जीना हुआ मुहाल लगे है सभी तरफ।
अपने सभी निशान दिखाता चला गया।।
हर ओर है विलास सभी में छिपा हुआ।
अपना कहाँ मिलान बताता चला गया ।।
दिखता कहीं विरोध अँधेरा यहाँ बढ़ा।
हो जाय अब विहान सुनाता चला गया।।
मनमें जगे प्रकाश , मिलें आज सब मनुज।
होता रहे विकास
पढ़ाता चला गया ।।
आशा करे निवास
सभी लोग खुश रहें।
विश्वास का निशान बनाता चला गया।।
सब लोग के दिमाग दिखे है यही भरम।
मन में भरे विलास जताता चला गया।।
डाॅ0 सरला सिंह "स्निग्धा"
दिल्ली