हस्ती अपनी

अरुणिता
By -
0

 


 अपनी हस्ती का हलचल लिए

कर आए तूफान का सामना|

 

उनके ऊंचे ऊंचे शीश महल

कर ना सके मेरे मकान का सामना|

 

लश्कर उसके वही देर हो गए

कर ना सके मेरी आन का सामना|

 

शान-ओ-शौकत  उनकी जग जाहिर ही सही

कर ना सके मेरी शान का सामना|

 

परेशान करना उनकी फितरत ही सही

कर ना सके वह मुझ परेशान का सामना|

 

मंजिल कैसे छूट जाएगी उनसे

जो कर ले हर इम्तिहान का सामना|

राजीव कुमार 

बांका. बिहार 

 

 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Out
Ok, Go it!