"अरे भई, सौवीं वर्षगांठ मेरी है। शतक मैंने मारी है, पर आप लोग बधाई मुझे न देकर, मेरे बेटा-बहू, बेटी-दामाद और नाती-पोतों को क्यों दे रहे हैं ?" अपना सौवाँ जन्मदिन मना रहे शर्मा जी ने आश्चर्य से पूछा।
"देखिए भैया, जब आपने अर्धशतक मारी थी, तब सब कुछ मेरा मतलब गेंदबाजी , बल्लेबाजी, मैदान यहां तक कि एम्पायर भी आपके प्रभाव में ही थे, पर जब शतक मारी, तब आपके हाथ में कुछ खास नहीं था। यही आपके बेटा-बहू, बेटी-दामाद और नाती-पोतों ने ही ऐसी मैदान सजाई कि आप नाबाद शतक जड़ चुके हैं। अब बताइए, बधाई के पात्र कौन हैं ?" शर्मा जी के एक चचेरे भाई ने कहा।
"हाँ यार, बात तो तुम्हारी सोलह आने सच है। इन्हें बधाई तो बनती ही है।" शर्मा जी ने कहा।
और सब ठहाका मारकर हँसने लगे।
- डॉ0 प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर ,छत्तीसगढ़
9827914888