ना जाने कैसे कैसे
मुखौटे पहन जीते हैं लोग
घर में तबाही
मची रहे
परंतु बाहर जश्न मनाते हैं लोग
रातें कहीं भी गुज़ारें पर
समारोह में पत्नी के साथ जाते
हैं लोग
कोई उन पर उंगली
उठाता नहीं
क्योंकि उसी जाति के सब होते
हैं लोग
दामन कीचड़ से लथपथ हो
पर समाज में
उज्ज्वल छवि
बनाए
रहते हैं लोग।
बृज गोयल
मवाना रोड, मेरठ
उत्तर प्रदेश