1
ख़ुद को जब ऊँचाई देगा।
तब ही वो दिखलाई
देगा।
फिर मिल जाएगा चुप को घर,
जब दिल को तन्हाई देगा।
मुन्सिफ़ जब गूंगे -
बहरे हैं,
कितनी और दुहाई देगा।
मतलब रक्खी बातों में अब,
तर कितनी चिकनाई देगा।
असली-नकली पहचाने बिन,
किन- किन को भरपाई देगा।
लय, सुर,ताल सधे होंगे जो,
हाथों में शहनाई
देगा।
मिलकर उनकी रानाई से,
बदले में शैदाई
देगा ।
2
अपनी एक कहानी फिर से।
बातें और ज़बानी फिर से ।
भूली बिसरी दिल तक आई,
यादें आज पुरानी फिर से।
बदली जबसे चाल समय ने,
मचली जोश-जवानी फिर से।
तेज हवा से पर टकराये,
जागी और रवानी फिर से।
भूल चुके थे जिसको पहले,
लौटी वो नादानी फिर से।
नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार, म0प्र0