शीत ऋतु

अरुणिता
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ग्रीष्म ऋतु हो गई मौन,शीत की सजनी कौन

हुई गर्मी की अब विदाई, सर्दी ने ली अंगड़ाई


चहुंओर व्याप्त शीतलता,उर में उमंग पुष्प खिलता

तरुओं,दुर्वा पर ओस कण,दृग को देते आनंद क्षण


मलय समीर सुगंध बयार,विटप कानन पर बहार

मन उपवन में उल्लसित तरंग,खुशियों के छाए रंग


शीत ऋतु का आगमन,भाने लगा गुनगुना मौसम

नयनाभिराम दृश्य चहुंओर,सुंदर ऋतु मनभावन


शस्यश्यामला वसुंधर सजी,ग्रीष्म से राहत मिली

प्रकृति ने ओढ़ें पीत वसन,पुलकित हुआ तन मन


शीत ऋतु ने बांह पसारी,रजाई कंबल से की यारी

सौंधी खुशबू व्यंजन की,बातें है गाजर के हलवे की




अलका शर्मा

शामली, उत्तर प्रदेश

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