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कपास (कहानी संग्रह)

कपास (कहानी संग्रह)

पुस्तक - कपास (कहानी संग्रह) लेखक - डॉ० कुबेर दत्त कौशिक प्रकाशक - शॉपिज़ेन डॉट इन समीक्षक - सोनल मंजू श्री ओमर हाल ही म…

सम्मान का जीवन

सम्मान का जीवन

सेठ सीताराम दास के घर किन्नर झूम-झूम कर नाचते हुए उनसे बख्शीश की माँग कर रहे थे। कल रात बड़ी पार्टी हुई थी,उनके बेटे-बह…

ख़ुशी के रंग

ख़ुशी के रंग

आनन्द परेशान हालत में घर पहुंचता है। घर में पत्नी रश्मि छ: साल की बच्ची पीहू को पढ़ा रही है। कॉल बेल की आवाज़ आते ही पी…

प्यार का इज़हार

प्यार का इज़हार

झमाझम बारिश हो रही थी । पूस के महीने की बारिश ठंड का कहर ढा देती है । मंजरी अकेली अपने कमरे के दरवाजे से इस नजारे को दे…

बहते लोर

बहते लोर

खैरी गैया की आँख से बहते आँसू देख अचानक से बासु चौंक उठा था । तत्काल उसे समझ में नहीं आया कि वो उसको देख रोने लगी है या…

नाना का गाँव

नाना का गाँव

मनोहर बीसों वर्ष बाद आज अपने पैतृक गांव आया था।बचपन की विसंगतियों के कारण वह अपने नाना के घर चला गया था।वहीं पढ़ा लिखा औ…

थप्पड़ की गूँज

थप्पड़ की गूँज

‘राजू…राजू… जरा गेहूं पीसवा कर लेते आना। और आते समय पापा के लिए ये दवाइयां भी लेते आना’ -श्यामा जी ने अपने ग्यारह वर्ष …

ऊपर वाला कमरा

ऊपर वाला कमरा

अंजना देवी अपने सर्व सुविधायुक्त शानदार कमरे के नरम मुलायम व आरामदायक बिस्तर पर लेटी हुई, ऊपर छत की ओर टकटकी लगाए न जान…

अन्जाम

अन्जाम

आंगन में प्रवेश करते ही मनोहर चिल्लाते हुए बोले-"अपने लाड़ले को समझाओ! नहीं तो एक दिन लेने के देने पड़ जाएंगे। हम …

पश्चाताप

पश्चाताप

रजनी कालेज से घर पहुंची,मां ने पूछा ,"आज बड़ी देर कर दी"? ,तो उसने बड़ी रुखाई से उत्तर दिया हां लाइब्रेरी में…

कन्या का मान

कन्या का मान

कुछ दिन पहले मैं टैक्सी के द्वारा दिल्ली से बाहर जा रही थी। मैंने आने-जाने की टैक्सी की थी। टैक्सी में ड्राइवर ने राधा …

काज सजे कछु और

काज सजे कछु और

सूर्यदेव अपने पूरे चरम पर हैं, बचाव कार्य भी ज़ोरों पर है …इसी बचाव कार्य के तहत मैं अलमारी से सूती दुपट्टा निकाल रही थ…

गर्मी के तेवर

गर्मी के तेवर

“गर्मी वो चीज है जो हर किसी को नंगा करने को मजबूर है| अफसरों की खाली योजनाओं की पोल, चुनावी वादों की पोल सभी तो ! वैसे …

घर जैसा भोजन

घर जैसा भोजन

न जाने किसने क्या सोच कर कहा होगा “घर की मुर्गी दाल बराबर” …… क्योंकि जिसे न मुर्गी पसंद है न दाल, अर्थात मुझ जैसा कोई …

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