होली की बहार

अरुणिता
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 आई एक नई बहार

रंगों का सुंदर त्यौहार

  फागुन की मस्ती छाई

  मधुरम सपने लाई

 

रंगों की होती बौछार

नफरत का तिरस्कार

गुझिया की  मिठास

आई बसंती फुहार

 

भेद भाव मिटाने का अवसर

जय हिंद बोले सब मिलकर

ऐसा ह्रदय में संचार करेंगे

ऊंच नीच ,भेद भाव मिटेंगे

 

सांप्रदायिकता भेद भाव से

मिल हम ऊपर उठते जायेंगे

फैला कर बाहें कदम बढंगे

नही दुनियां से अब हम डरेंगे

 

खुशी से हम हर्षायेंग

शोर शराबा मस्ती से

हुडदंग हम मचाएंगे

रंग गुलाल उड़ाएंगे

 

हे कान्हा !इस होली

कुछ ऐसा करो कमाल

न रहे कोरोना की चाल

वातावरण हो खुशहाल

 

गए मनवा, झूमे बारंबार

आई रंगों की बौछार

नव पल्लव की निखार

आया फागुन का त्यौहार।


अंजनी अग्रवाल "ओजस्वी "

कानपुर नगर,  उत्तरप्रदेश

 

 

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