तेरे बिन

अरुणिता
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 तेरे बिन जीवन में

जीवन जैसा, कुछ भी नही

रंगो की दुनिया, तेरे बिन बेरंग है कही

सर्द रातों की धुन्ध भरी चांदनी, सितारे

धूसर से है, तेरे बिन

पलकों मे भरे सपने, तेरे बिन

हकीक़त मे नही

तेरा ख्याल, जब जब आया

शाम हुई, जल उठे नैनों के दीप

खोयी खोयी जिन्दगी में, जैसे

मिल गए, मोती से भरे सीप

पल्लवित होते है, कहा

तेरे बिन, मेरे सृजन

मन गहवर के भावों का

तुम हो, उत्ताल समन्दर

फूलों की, बिन पंखूङियो का

जीवन पृथक कहां होता?

तुम्ह कहो, प्रियतम मेरे !!

तुम बिन मेरा क्या?जहां होता। ।।।।

संध्या गुप्ता

राँची, झारखण्ड

 

 

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