दिल की ये दास्तान

अरुणिता
By -
0

  दिल की ये दास्तान है जानां

ये मेरा ही बयान है जानां।

                     वो जहाँ गुलाब महकते रहते हैं
                     वो ही अपना मकान है जानां।

मुझको तुझसे मुहब्बत है बहुत
ये भी मुझपे इल्जाम है जानां ।

तू मुझे देखता क्यूँ नहीं
तुझको कितना गुमान है जानां।

दर्द क्यूँ इतना बढाता है 'केवल'
अब तो मुझको आराम है जानां।


 अमित 'केवल'

लखनऊ,  उतर प्रदेश

 

 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Out
Ok, Go it!