निरंतर कर्म है कर्तव्य

अरुणिता
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हर काम को अंजाम दें जरूरी तो नहीं

हर काम को नाम दें जरूरी तो नहीं



निरंतर कर्म है कर्तव्य कदम क्यों थामें

हर पड़ाव पर आराम दें जरूरी तो नहीं



कब तक रहेंगे मौन हर जुल्मो - सितम पर

सहकर भी ज़बान को लगाम दें जरूरी तो नहीं



स्याह झूठ आया है उजाले की ओट से

उगते सूरज का उसे सलाम दें जरूरी तो नहीं



बहुत अनमोल है स्नेह और शुभेच्छाएं उनकी

हर कामना का दाम दें जरूरी तो नहीं


डॉ० अखिलेश शर्मा

इन्दौर (म.प्र.)

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