माँ दुर्गा

अरुणिता
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हे माँ दुर्गा तेरी शक्ति ,

जो संकट हरने वाली हो.

भक्तों का दुःख हर कर के,

तुम राह दिखाने वाली हो.



जब जब जग में बढ़ा पाप,

तुम नाश करे उस पापी को.

महिषासुर का अंत किया था,

पापों से मुक्त किया जग को.



सिंह वाहिनी, रूप अनोखा,

सम दसों भुजाओं में बल है.

तुमसे ही यह जग है चलता ,

भक्तों में तेरा अतिबल है.



नवरात्र के नौ रूपों में,

भक्तों का उद्धार करो.

शत्रुओं का कर विनाश ,

तूं सबका बेड़ा पार करो.



हे माँ! हम तेरे आगे,

शीश झुकाते बारंबार,

रक्षा कर दीन-दुखी का,

सारे जग की पालनहार.



ललन प्रसाद सिंह

वसंत कुंज, नई दिल्ली-70

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