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साइबर बुलिंग



वर्तमान वर्चुअल जगत के सन्दर्भ में शिक्षण संस्थानो में साइबर बुलीइंग व स्लेन्डर जैसी समस्याओं व उनके निराकरण का अध्ययन

आज के डिजीटल काल में विद्यार्थियों के सामने परीक्षा-प्रतियोगिता-प्रतिशत अंको जैसी सकारात्मक चुनौतियाँ तो जगजाहिर है। इनके अतिरिक्त किशोरों में कुछ नकारात्मक घटनाऐें भी देखी और अनुभव की जा रही है। प्रतियोगिता के इस दौर में बच्चों में साइबर बुलीइंग व स्लेन्डर या सामान्य भाषा में समझे तो सहपाठियों को वर्चुअली परेशान करना, सताना, दुव्र्यवहार, अफवाह फैलाना जैसी घटनाओं को शिक्षण केन्द्रो में बिगड़े स्वरूप में देखा जा सकता है।

आज के सामाजिक वातावरण में विद्यार्थियों में मानवीय संवेदनाओं, भावनाओं, सहानुभूति एवं समानुभूति के स्तर में कमी आयी है, परिणामस्वरूप इनके व्यवहार में परिवर्तन सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर भी देखे जा रहे हैं।

बुलीइंग (Bullying) - शिक्षण संस्थानों में बुलीइंग का तात्पर्य सहपाठियों को धमकाना, नुकसान पहुंचाना, बाधा डालना व असुविधा पहुँचाने के कार्य करना या व्यवहार करना, जिससे बच्चा असहज महसूस करता है।

साइबर बुलीइंग (Cyber Bullying) - आनलाइन या वचुअल प्लेटफार्म पर जहां बच्चे आपस में जानकारियों साझा करते हैं वहां पर आजकल साइबर बुलीइंग समस्याओं को चिन्हित किया जा सकता है। ये गतिविधियां सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यमों से जैसे-सोशल मीडिया प्लेटफार्म, एस.एम.एस., टेक्सट ई-मेल या किसी एप पर हो सकती है।

चूंकि माता-पिता व अभिभावक हमेशा ये देख नहीं सकते कि उनके बच्चे इन माध्यमों पर क्या कर रहे है, इसलिए ये जानना मुश्किल हो जाता है कि बच्चा इन कृत्यों से कब और कितना प्रभावित हो रहा है।

साइबर बुलिंग से किसी सहपाठी की व्यक्तिगत या निजी जानकारियों को साझा करके उनको शर्मिंदगी व अपमान का कारण बनाया जाता है।

स्लेन्डर - शिक्षण संस्थानो में किसी एक के द्वारा अन्य के बारे में असत्य, नकारात्मक या निन्दनीय टिप्पणी करके अफवाह फैलाना स्लेन्डर कहलाता है। इसका उद्देश्य अन्य को बदनाम करना होता है। वर्तमान में इनको ऑनलाइन माध्यमों से फैलाया जाता है।

समस्या के आयामः- भारत के सन्दर्भ में किशोरो में साइबर बुलीइंग के मामलों में माइक्रोसाफ्ट के एक हालिया सर्वे के अध्ययन में कुछ चैकाने वाले आकड़े सामने आये हैं। माइक्रोसाफ्ट ने दुनिया के 25 देशों में अपने ग्लोबल यूथ ऑनलाइन बीहेवियर सर्वे में भारत को तीसरे स्थान पर पाया है। इस सर्वेक्षण में भारत को 53% उत्तरदाताओं के साथ तीसरे स्थान पर रखा गया। 8-17 वर्ष की आयु के बच्चों ने इस सर्वे में स्वीकार किया कि उन्होने ऑनलाइन बुलीइंग का अनुभव किया है। चीन में 70%व सिंगापुर में 58% किशोरो ने इन समस्याओं से गुजरने का अनुभव बताया है।

सोर्स - Indian J Psychology 2018, Jan-March, 60-1

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 630 व्यस्को के सर्वे में लगभग 92% लोगों न इन समस्याओं का सामना किया व आधे से अधिक ने इन घटनाओं को छुपाया व रिपोर्ट नहीं किया।

सोर्स - www.school.in.2020/online Study ad Interest Addiction 2020

इपसोस/रायटर्स पोल के नतीजे भी इन्हीं मनोदशाओं का वर्णन करते हैं। इसमें दुनिया भर में 10% से अधिक अभिभावकों ने स्वीकार किया कि उनके बच्चे साइबर बुलीइंग का शिकार हुए हैं। 24 देशों के 18000 से अधिक लोगो ने इन समस्याओं के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स को जिम्मेदार बताया।

सोर्स - www. Reuters.com. -Jan 2012-New Ipsos/Reuter poll

बच्चों पर प्रभावः- साइबर बुलीइंग व स्लेन्डर के कारण विद्यार्थियों के युवा मन पर कुप्रभाव पड़ता है। जो बच्चे मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर होते है, उन पर और अधिक कुप्रभाव पड़ता है। प्रभावित बच्चे विद्यालयों में जाना तक छोड़ देते हैं। ये बच्चे सामाजिक तौर पर अलग-थलग रहने लगते हैं, गुमसुम से रहते हैं। इनमें आत्मविश्वास की कमी देखी जाती है। इनमें डर समा जाता है। ये सहशैक्षणिक गतिविधियों से भी हट जाते हैं। बच्चों के दैनिक जीवन, खानपान व शारीरिक प्रक्रियाओं पर भी कुप्रभाव पड़ता है।

कुल मिलाकर बच्चे सामाजिक, भावनात्मक, मानसिक व शारीरिक रूप से प्रभावित हो जाते हैं।

शिक्षण संस्थान इसके समाधान के लिये क्या प्रयास कर सकते हैं ?

1. सर्वप्रथम विद्यालय हितधारक, अध्यापक, स्टाफ व अभिभावक आपस में वार्तालाप, विचार विमर्श करें व समस्या को समझने का प्रयास करें।

2. सकारात्मक प्रयासों को चिन्हित किया जाये व बच्चों की भावनाओं का सम्मान करके समाधान के प्रयासों को परिलक्षित किया जाये।

3. शिक्षण गतिविधियों के दौरान सभी बच्चों को वर्चुअल प्लेटफार्म पर अपनी जानकारियों को साझा करने के बारे में बताया जाये कि वे क्या करे व क्या न करें।

4. बच्चा विद्यालय जाने में या अध्ययन में अरूचि दिखाये तो जबरदस्ती न की जाये, सही दशा व दिशा से समाधान निकाला जाये।

5. शिक्षण संस्थानों को इन समस्याओं के समाधान के लिये उपलब्ध माध्यमों जैसे- NGO, Councellor व Legal Aids के बारे में अभिभावको से जानकारियां साझा की जाये।

6. केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) में अपने विद्यालयो में साइबर बुलीइंग रोकने के लिये एक Student Manual भी विकसित किया है।

सोर्स - www.cbseacademic.nic.in/cyber safety manual pdf

प्रस्तुति

मोहम्मद आसिफ

सहायक अध्यापक विज्ञान,

प्रा0वि0 मुनीमपुर बरतरा,

निन्दूरा, बाराबंकी, उ0प्र0



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