भारत भूमि

अरुणिता
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मुझको जान से प्यारी मेरी भारत भूमि,

ऋषि मुनियों, संतो तपस्वियों की तपोभूमि|

है हिमालय जिसका पहरेदार

पवित्र नदियाँ जिसका करती हैं श्रंगार| 

जहाँ होती है हर जाति-धर्म की पूजा

समस्त विश्व में भारत जैसा देश ना दूजा

शूरवीरों,बहादुरों,रणबांकुरों की रणभूमि

अतिथि जहाँ देवता समान हैं 

जहाँ आविष्कारों और वेदों की खान 

अन्नदाता जहाँ का हर एक किसान है

एकता,अखंडता सदियों से जिसकी शान है

वसुधैव कुटुंबकम जिसकी पहचान है

कर्म है जहाँ कर्मप्रधान कर्मयोगीयों की कर्मभूमि 

मुझको जान से प्यारी मेरी भारत भूमि!!

 

आभा सिंह 

लखनऊ उत्तर प्रदेश

 

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