हे मातृभूमि ! तुमको नमन

अरुणिता
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हे ! मातृभूमि शत बार है

तुमको नमन  हर बार है।

हम वीर सदा बलिदानीं हैं

तुमसे  पहचान हमारी है।।

 

पीछे न  हटें  बढ़ते जाएँ

चट्टानों  से   हम टकराएँ।

दुश्मन की छाती चीर चीर

हर बार लहू हम पी जाएँ।।

 

ललकार हमारी कैसी है

दहाड़  सिंह के जैसी  है।

हम वीर जवानों की टोली

गोली से आगे  है  बोली।।

 

खेतों से  खलिहानों तक

गाँव  शहर  मैदानों तक।

लेकर ध्वज घर से निकले

हम पहरेदार अटल निकले।।

 

पर्वत  और  पठारों  पर

निर्भीक गए आसमानों पर।

हम एक अकेले डट जाएँ

सब दुश्मन पीछे हट जाएँ।।

 

    विजय लक्ष्मी पाण्डेय

      आजमगढ़ उत्तर प्रदेश

 

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