विश्वास के बादल

अरुणिता
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 वह!

अब अकेला नहीं है,

जब था,तब था !

एक बड़ा जन समूह है उसके साथ ।

सकारात्मक विचारधारा का पोषक है वो,

अत: बड़ी संभावना है,

पतझड़ के बाद।।

 

वह!

जीवन की मुश्किलों,

झंझावातों को झेलते

थका नहीं था ,

मात्र ठगा सा महसूस

कर रहा था ।

उसे विश्वास था,

तभी वह

प्रतीक्षारत्त था ।

आज भी अपने संकल्पों

पर अडिग है,

अनेको अन्याय के बाद ।।

 

यही जन समूह एक दिन,

क्रांति को मूर्त रुप देगी ।

भारत को अन्याय मुक्त कर,

न्याय से श्रृंगारित करेगी ,

तय काल के बाद ।।

 

और

वह !

एक मानित-सम्मानित

जीवन जी सकेगा......!

मां भारती का भाल उॅ॑चा

कर सकेगा !!

निराशा और अविश्वास

के काले बादल

छंटने के बाद ।।

ललन प्रसाद सिंह

403,श्याम कुटीर एपा.

नाला पर,सिद्धार्थ नगर,

जगदेव पथ ,पटना-14

 

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