आँसू

अरुणिता
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 आँसूओ का क्या है

आँसू छलक जाते हैं

कभी गम में, तो कभी खुशी में

 कभी रूकते नहीं तो कभी बह नहीं पाते हैं

 

प्रसूता की आँख के आँसू

नवजीवन का राग सुनाते हैं, तो

बेटी की विदाई के आँसू

सृष्टि का नियम बताते हैं ।

 

पथिक की राह तकते आँसू

विरह की आग लगाते हैं, तो

लौट आने पर पथिक के

पिया मिलन का रास रचाते हैं ।

 

दिल पर लगे चोट तो

छोटी सी बात  पर ही निकल आते हैं,

कभी बडे बडे गम में भी बस

आँखों की कोर पर ही चिपक जाते हैं ।

 

आँसूओ का क्या है,

आँसू छलक जाते हैं ।

-ऋतु बंसल

दिल्ली 

 

 

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