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सियासत

सितंबर 21, 2021
  सियासत में जो बरसों से पड़े हैं समझ लीजे कि वे चिकने घड़े हैं                                   ब स इक अपना ही कद है सबसे छोटा     ...

मेरी शायरी

सितंबर 21, 2021
  जो   सामने   नदी   हो तो अधर पे प्यास भी हो                       न उधार की ख़ुशी हो                       सचमुच की ज़िन्दगी हो हर...

अरुणिता के फ्लिपबुक संस्करण

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